शिव धर्म Shiv Dharma
शिव धर्म – शिव शक्ति अमृत
परा ब्राह्म ने सदा शिव का आकार ले कर सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की , ओर ब्राह्मडं को चलाने के लिए , ब्राह्मडं की रक्षा के लिए देव देवी देवताओं की आत्माओ को जन्म दिया शक्ति द्वारा दिया ओर ब्राह्म जी शरीर प्रदान करते हैं ब्राह्म मनीपुर चक्र से ।
ओर सदा शिव शक्ति सहस्रार चक्र मे समाधि मे बैठे बैठे ही सम्पूर्ण सृष्टि की आत्माओ एवं देवी देवताओं , सम्पूर्ण मानव जाति को जीवित रहने के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं।
याद रखे एक मात्र सदा शिव शक्ति ही जो सम्पूर्ण प्राणियों मे जीवन प्रदान करने मे सक्षम है।
जो मुलाधार से जोड़ती हुई ऊपर के सभी चक्रों से उठ कर सहस्रार चक्र मे समाधि मे बैठे है वही सदा शिव है उसी तरह वह ब्राह्मडं के बीच मे बैठ कर पुरे ब्राह्मडं के रचनाकार भी है ,ओर अन्त भी वही करते हैं।
सिर्फ एक मात्र सदा शिव का स्थान सबसे ऊंचा है वही मोक्ष ऊर्जा का सत्य रूप है प्रकाश है ,कोई भी पाखडं पंथ धर्म गुरू उन तक नही पहुँच पाता है।
वही सभी देवी देवताओं को ऊर्जा देकर सम्पूर्ण सृष्टि को देख भाल करते हैं। इन्द्र ही मूलाधार पृथ्वी तत्व – पृथ्वी पर बारिश करता है आनाज, फल सब्जी पैदा होती है। सूर्य देव मनीपुर चक्र स्थान की ऊर्जा से, होते हुए भी आकाश से ,पृथ्वी तत्व को रोशनी ऊर्जा प्रदान करते हैं।
उन की गरमी से स्वाधिष्ठान चक्र से जल वाष्प बन कर आकाश तत्व से बारिश करता है।
जिस से लक्ष्मी प्रसन्न होकर खुशहाली देती है।
( गुलेरिया सद गुरू शिव पूत )
यह सारा सृष्टि का चक्र हमारे ही शरीर मे छिपा हुआ है।
बस जरूरत है इसे सृष्टि चक्र से जोड़ने की
आप का शरीर आप की आत्मा मे छिपी है शिव शक्ति की ऊर्जा का , जिसे आप ने सबसे बड़े देवो के देव महादेव से जोड़ना ही तो है।
आप के देवो देवताओं को शिव से जोड़ना है , अपने परिवार को उस महान शक्ति से जुडना ही है।
आप इसीलिए परेशान है कि आप ने अपने आप को गल्त धारणाओ से जोड़ रक्खा है।
आप पाखडं पंथ , पखंडी गुरूओं से , पखडी मजारों पीर के माया जाल को तोड कर सत्य की पहचान करना है।
सत्य जो शिव है।
सत्य जो आप के भीतर ही छिपा है , उसे शिव की सच्ची ऊर्जा के साथ जोड़ना है।
इस जुड़ने का रास्ता ही शिव धर्म है। जो दुनिया का पहला ओर आखिरी सत्य है।
जिस का न जन्म है न मृत्यु वह है शिव शक्ति , बायां हिस्सा शक्ति दाहिना शिव जो पर ब्राह्म है।
कृष्ण जी जो शिव लिंग जो आत्मा के इन्द्र उस को गऊ लोक से दूध की ऊर्जा प्रदान करते हैं।
दुनिया मे कोई भी एेसा धर्म कोई ऐसा पंथ शिव के बिना बन ही नहीं सकता है , क्या कि एकमात्र शिव ही है जो सम्पूर्ण सृष्टि को ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं , सम्पूर्ण विश्व मे उन्हीं के देव देवी देवता राज कर रहे हैं। सम्पूर्ण सृष्टि को शिव ऊर्जा से चला रहे हैं।
दुनिया.के किसी भी धर्म रिलीजन पथं मे ऐसी शक्ति है ही नही ,जो एक तिनका भी दे सके ,क्या की एक तिनका भी सूर्य इन्द्र ओर शिव ऊर्जा से उत्पन्न होता है।शिव शक्ति शिव कुंडलीनी , शिव धर्म का मतलब है जोड़ना –
मोक्ष पुरी आजादी तभी मिलती है जब हम जुड़ने लगते हैं।
रोगों , गरीबी ,मुसीबतों से मुक्ति तभी मिलती है जब हम जुड़ने लगते हैं , उस परम सत्ता जो सिर्फ शिव द्वारा रच्चाइ ओर संचालित हो रही है।
रामायण इसी लिए रच्ची गई थी उस में सीता का रोल इसलिए ही था कि , हम जितने भी पार कर ले , उन के दुष्प्रभाव से हम नही बच सकते , रावण ने रीशी मुनियों का कत्ल कर भूमि के अन्दर गाड दिया , किसी को कुछ पता नहीं चले गा , परन्तु वह बाहर आए।
इसी तरह हमारे अंदर भी असख्यं पाप छिपे होते हैं।
वह सीता की तरह ओरों को तो फायदा देते हैं परन्तु पाप करने वाले को कोई फायदा नहीं होता ।
सम्पूर्ण रामायण लिखने का यही मतलब था कि , सीता को पृथ्वी से बाहर आने दो , एक सीता भी है जो , दुर छिपे पापों को नाश कर मुलाधार चक्र को स्पन्दन पैदा करती है,
स्वाधीष्ठान चक्र मे पहुचनने पर , पवित्रता प्रदान करती है।
ब्रम्हाचारय सिखाती है।
मनी पुर चक्र को जागरण कर , आप को पापों का नाश कर अग्नि के अन्दर से भी निकलना सिखाती है।
ऊपर उठ कर शिव मे लीन होना सिखाती है।
इस प्रकिया मे , हनुमान एवं राम पुरी तरह से जुड़ जाते हैं।
इस का रास्ता एक ही होता है , गंगा नदी कुंडलीनी सिर्फ एक ही रास्त़े पर चलती है वह है गंगा सुष्मना नाडी , शिव जी ने मोक्ष का सिर्फ एक ही रास्ता बनाया , दूसरा पुरी सृष्टि मे है ही नही।
जो पांखंडी धर्म भ्रष्ट अल्प ग्यानी बोलते हैं कि सभी धर्मों का मकसद एक है रास्ते अलग अलग है , उन्हें पहले मोक्ष शिव शक्ति शिव धर्म का रास्ता देख लेना सत्य से जुडना चाहिए।
सीता छिपे हुए पापो का अन्त करती , परन्तु गणेश जी मुलाधार एक ऐसा रास्ता खोलते हैं
जिस को सिर्फ एक बच्चा ही माँ तक पहुँचनेके लिये खोल ओर चल सकता हैं।
सभी आत्माओ की माता माँ जो सिर्फ महा काली ही है ,उस तक पहुँचने का रास्ता बच्चा बन कर ही प्राप्त कर सकता है।
क्यो की शिव धर्म का यह नियम है , बच्चा माँ का बच्चा ही होता है , जो तंत्र कुछ ओर बनने की कोशिश करता है पागल होकर नष्ट
हो जाता है।मोक्ष का सिर्फ एक ही रास्ता है शिव धर्म द्वारा कुंडलीनी जागरण कर शिव शक्ति तक पहुँचना ही है।
इसलिए आत्मा का जन्म हुआ है।
कृष्ण की शक्ति का काम है , गो रक्षा गोलोक से गऊ की दूध की ऊर्जा को शिव लिंग जो आत्मा को ऊर्जा देता है तक पहुँचने में सहायता करना है।
क्रमशः:
गुलेरिया गुरु
गुलेरिया सद गुरु
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